India out of WTC final: Australia की शानदार छह विकेट की जीत ने India को WTC final की दौड़ से किया बाहर 

India out of WTC final: ऑस्ट्रेलिया ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पांच मैचों की टेस्ट सीरीज को 3-1 से अपने नाम किया। इस जीत के साथ, ऑस्ट्रेलिया ने न केवल श्रृंखला में अपना दबदबा कायम किया, बल्कि 11 से 15 जून के बीच लॉर्ड्स के ऐतिहासिक मैदान पर दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ होने वाले विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में अपनी जगह भी सुनिश्चित कर ली। ऑस्ट्रेलिया की इस उपलब्धि ने टीम की निरंतरता और उच्च स्तरीय क्रिकेट का प्रमाण दिया, जिससे फैंस में आगामी फाइनल को लेकर उत्साह और भी बढ़ गया है।

India out of WTC final
Image Credit – X @mufaddal_vohra

Indian cricket team की फॉर्म पर बड़ा सवाल, Border-Gavaskar Trophy पर 10 साल बाद ऑस्ट्रेलिया का कब्जा

भारतीय क्रिकेट टीम ने खराब फॉर्म के चलते सिडनी में खेले गए पांचवें और अंतिम टेस्ट मैच में छह विकेट से हार का सामना किया, जिससे वह विश्व टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) के फाइनल में पहुंचने की दौड़ से बाहर हो गई। इस हार के साथ, भारतीय टीम को अपनी रणनीति और प्रदर्शन पर गहराई से विचार करने की जरूरत होगी, क्योंकि यह बदलाव के दौर से गुजर रही है।

ऑस्ट्रेलिया ने इस जीत के साथ पांच मैचों की श्रृंखला 3-1 से अपने नाम कर ली और 11 से 15 जून तक लॉर्ड्स में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ होने वाले विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के लिए भी क्वालीफाई कर लिया। खास बात यह है कि इस जीत के साथ ऑस्ट्रेलिया ने 10 साल बाद प्रतिष्ठित बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी पर फिर से कब्जा जमा लिया है।

भारतीय टीम के लिए यह हार न केवल रणनीतिक दृष्टिकोण से, बल्कि खिलाड़ियों के प्रदर्शन, टीम संयोजन और नेतृत्व पर भी सवाल खड़े करती है। यह समय है कि भारतीय क्रिकेट प्रबंधन अपनी खामियों पर ध्यान देकर आगामी चुनौतियों के लिए खुद को बेहतर तरीके से तैयार करे।

162 रनों का लक्ष्य चुनौतीपूर्ण तो था, लेकिन यह और भी कठिन हो सकता था अगर भारतीय टीम के नए टेस्ट कप्तान Jasprit Bumrah अपनी पीठ दर्द की समस्या के बावजूद गेंदबाजी कर पाते। उनकी अनुपस्थिति में गेंदबाजी आक्रमण थोड़ा कमजोर दिखाई दिया। हालांकि, जब Virat Kohli ने कप्तानी की जिम्मेदारी संभाली, तो यह साफ हो गया कि इस स्कोर का बचाव करना टीम के लिए लगभग नामुमकिन साबित होगा। कोहली की आक्रामक शैली और फील्ड प्लेसमेंट की रणनीति ने प्रयास तो किया, लेकिन लक्ष्य की कमियों को भरना मुश्किल साबित हुआ। इस पूरे मैच ने टीम की चुनौतियों और रणनीति के महत्वपूर्ण पहलुओं को उजागर किया।

India out of WTC final: सीरीज के स्टार खिलाड़ी, लेकिन टीम इंडिया का प्रदर्शन निराशाजनक

India out of WTC final: जसप्रीत बुमराह ने इस सीरीज में शानदार गेंदबाजी करते हुए पांच मैचों में 32 विकेट लेकर खुद को सीरीज का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी साबित किया। उनके प्रदर्शन ने भारतीय फैंस को खुशी जरूर दी, लेकिन टीम के समग्र प्रदर्शन के लिहाज से यह किसी भी तरह संतोषजनक नहीं था।

प्रसिद्ध कृष्णा और मोहम्मद सिराज, जो बुमराह का समर्थन करने वाले मुख्य गेंदबाज थे, अपनी जिम्मेदारी निभाने में पूरी तरह असफल रहे। प्रसिद्ध कृष्णा ने 12 ओवर में 65 रन देकर 3 विकेट लिए, जबकि मोहम्मद सिराज ने 12 ओवर में 69 रन देकर सिर्फ 1 विकेट लिया। इन दोनों ने कई खराब गेंदें डालीं, जिनका फायदा उठाकर मेज़बान टीम ने केवल 27 ओवर में जीत हासिल कर ली।

इस सीरीज में बुमराह का व्यक्तिगत प्रदर्शन भले ही शानदार रहा हो, लेकिन टीम की कुल मिलाकर खराब गेंदबाजी और रणनीतिक गलतियों के कारण भारत को हार का सामना करना पड़ा। इस हार से टीम इंडिया को अपनी कमियों पर ध्यान देकर उन्हें सुधारने का संदेश मिला है।

ऑस्ट्रेलिया के बल्लेबाज उस्मान ख्वाजा (41 रन), ट्रैविस हेड (नाबाद 34 रन), और अपने डेब्यू मैच में शानदार प्रदर्शन करने वाले ब्यू वेबस्टर (नाबाद 39 रन) ने मिलकर भारतीय टीम के खिलाफ औपचारिकताएं पूरी कीं। इस प्रदर्शन के साथ भारत के इस दौरे की कमजोरियां और चुनौतियां पूरी तरह उजागर हो गईं।

 

यह दौरा भारत के लिए बेहद कठिन साबित हुआ, जहां उनकी बल्लेबाजी की कमजोरियां खुलकर सामने आईं और जसप्रीत बुमराह पर टीम की अत्यधिक निर्भरता ने सवाल खड़े कर दिए। खासकर बुमराह की अनुपस्थिति ने टीम की गेंदबाजी लाइन-अप को कमजोर कर दिया। सुबह के वार्म-अप सत्र के दौरान जब बुमराह ने शैडो बॉलिंग करने की कोशिश की, तो वे सहज महसूस नहीं कर सके। इसके बाद उन्हें खेलने के लिए अनुपयुक्त घोषित कर दिया गया। यह स्थिति भारत के गेंदबाजी आक्रमण पर बुमराह की अहमियत और टीम के अन्य गेंदबाजों की क्षमता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है।

भारतीय क्रिकेट प्रशंसकों और विशेषज्ञों के लिए यह दौरा एक चिंताजनक संकेत है कि टीम को अपनी गहराई और रणनीति में सुधार करने की जरूरत है, खासकर महत्वपूर्ण खिलाड़ियों की अनुपस्थिति में।

Scott Boland और Pat Cummins ने भारतीय टीम को ध्वस्त किया।

India out of WTC final: ऑस्ट्रेलिया के तेज गेंदबाज स्कॉट बोलैंड (6/45) और कप्तान पैट कमिंस (3/44) ने अपनी सटीक गेंदबाजी से भारतीय बल्लेबाजी क्रम को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया। भारतीय टीम 39.5 ओवर में मात्र 157 रन पर सिमट गई। इस स्कोर में ऋषभ पंत के 61 और यशस्वी जायसवाल के 22 रन अहम रहे। इनके अलावा शेष नौ बल्लेबाज कुल मिलाकर सिर्फ 74 रन ही जोड़ सके। यह प्रदर्शन भारतीय क्रिकेट टीम के लिए आत्ममंथन का एक बड़ा विषय बन गया है।

सीरीज़ के दौरान कुल छह पारियों में भारतीय बल्लेबाज एक बार भी 200 रन का आंकड़ा पार नहीं कर सके। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि इस दौरे पर टीम की क्या कमजोरियां रहीं। टीम के नियमित कप्तान रोहित शर्मा और दिग्गज बल्लेबाज विराट कोहली भी अपने प्रदर्शन में तकनीकी समस्याओं से संघर्ष करते नजर आए।

इस शर्मनाक हार ने भारतीय क्रिकेट के ढांचे और रणनीति में सुधार की आवश्यकता को उजागर कर दिया है। यह सवाल खड़ा करता है कि क्या टीम प्रबंधन और खिलाड़ियों को अब अपनी रणनीति को पूरी तरह से पुनर्गठित करने की जरूरत है। भारतीय टीम के इस प्रदर्शन ने फैंस को निराश किया है, लेकिन यह भी एक अवसर है कि गलतियों से सबक लेकर भविष्य में बेहतर खेल दिखाया जा सके।

तीन बार शून्य पर आउट होने के बावजूद, Yashasvi Jaiswal 391 रनों के साथ इस सीजन के शीर्ष स्कोरर रहे। उनके बाद नवोदित खिलाड़ी Nitish Kumar Reddy ने 298 रन बनाए, जबकि अनुभवी बल्लेबाज KL Rahul ने 276 और Rishabh Pant ने 255 रन बनाए। हालांकि, भारतीय क्रिकेट में कप्तान रोहित शर्मा और विराट कोहली के खराब फॉर्म पर चर्चा तेज हो गई है। चाहे कोई भी कितना भी विश्लेषण कर ले, यह स्पष्ट है कि इन दोनों दिग्गज बल्लेबाजों के लिए अपनी हालिया गिरती बल्लेबाजी फॉर्म को रोकना चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है।

टीम इंडिया में कुछ होनहार युवा खिलाड़ी मौजूद हैं, और नए विश्व टेस्ट चैंपियनशिप चक्र में इन खिलाड़ियों को विकसित करने के लिए पर्याप्त मौके देने की आवश्यकता है। हालांकि, रोहित और कोहली के प्रदर्शन पर सवाल उठाए जा रहे हैं, लेकिन बीसीसीआई को यह भी सोचना होगा कि मुख्य कोच गौतम गंभीर इस समय सभी प्रारूपों की जिम्मेदारी संभालने के लिए उपयुक्त हैं या नहीं।

गंभीर के नेतृत्व में भारत ने इस सत्र में 10 में से 6 टेस्ट मैच गंवाए हैं, साथ ही श्रीलंका के खिलाफ वनडे सीरीज़ में भी हार का सामना करना पड़ा। यदि रोहित और कोहली को उनके प्रदर्शन के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता है, तो गौतम गंभीर को भी इस स्थिति से अलग नहीं रखा जा सकता। गंभीर का सख्त और हठी रवैया टीम के ड्रेसिंग रूम में एक सकारात्मक माहौल बनाने में बाधा डाल रहा है, जिससे खिलाड़ियों के साथ उनका संबंध कमजोर हो रहा है।

यह समय है कि BCCI शीर्ष स्तर पर सुधारात्मक कदम उठाए और खिलाड़ियों व कोचिंग स्टाफ के बीच सामंजस्य स्थापित करने के उपायों पर ध्यान दे। भारतीय टीम के प्रदर्शन में निरंतरता और संतुलन लाने के लिए दीर्घकालिक दृष्टिकोण और रणनीतिक बदलाव आवश्यक हैं।

Brisbane के ऐतिहासिक मुकाबले के बाद, रविचंद्रन अश्विन के संन्यास और रोहित शर्मा के खुद को टीम से बाहर रखने के फैसले ने क्रिकेट प्रेमियों को चौंका दिया। यह निर्णय अचानक और अप्रत्याशित था, जिसने भारतीय क्रिकेट में एक नई बहस को जन्म दिया। खिलाड़ियों के स्वाभाविक खेल और रणनीति में हस्तक्षेप करना कभी-कभी उल्टा भी पड़ सकता है। ऋषभ पंत के मामले में यह स्पष्ट हुआ, जब अत्यधिक सावधानी ने उनके स्वाभाविक अंदाज और लय को बाधित कर दिया।

हालांकि, बल्लेबाजी से ज्यादा चिंता का विषय गेंदबाजी बन गई है। भारत की तेज और स्पिन आक्रमण दोनों ही राष्ट्रीय चयन समिति और टीम प्रबंधन के लिए एक चुनौती बने हुए हैं। जसप्रीत बुमराह की गैरमौजूदगी ने टीम की गेंदबाजी क्षमता में एक बड़ा शून्य पैदा किया। उनकी अनुपस्थिति के कारण भारत को अंतिम दिन निर्णायक क्षणों में मुश्किलों का सामना करना पड़ा, खासकर जब ऑस्ट्रेलिया का पलड़ा भारी था।

ग्लेन मैक्ग्राथ ने सही कहा कि अगर बुमराह ने पिछली श्रृंखला में 32 विकेट नहीं लिए होते, तो भारत का 1-3 के अंतर से श्रृंखला जीतना लगभग असंभव होता। ब्रिसबेन टेस्ट में भारत ने बारिश का सहारा लेकर मुकाबला बचाया, और मेलबर्न में चौथे दिन के अंतिम सत्र में रोहित शर्मा के फैसले ने खेल को ऑस्ट्रेलिया के पक्ष में झुका दिया।

तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज ने 36 टेस्ट मैचों में 100 विकेट पूरे किए हैं। हालांकि यह एक सराहनीय उपलब्धि है, लेकिन आंकड़े टीम के गेंदबाजी आक्रमण की मजबूती को पूरी तरह से नहीं दर्शाते। भारतीय क्रिकेट के लिए यह समय है कि वह अपनी गेंदबाजी इकाई को और मजबूत करे और आने वाली चुनौतियों के लिए बेहतर तैयारी करे।

India out of WTC final: Aakash Deep अभी भी कच्चे खिलाड़ी हैं, लेकिन उनमें भविष्य में अच्छे प्रदर्शन की पूरी क्षमता है। वह अभी भी सीखने की प्रक्रिया में हैं, और कुछ महत्वपूर्ण सुधार के बाद वह एक प्रभावशाली गेंदबाज बन सकते हैं। वहीं, प्रसिद्ध कृष्णा के बारे में कहा जा सकता है कि वह कुछ ऐसी गेंदें खेलते हैं जो मुश्किल हो सकती हैं और अक्सर पैदल चलते हुए काम करने की आदत दिखाते हैं। उनका प्रदर्शन फिलहाल स्थिर नहीं है, लेकिन कुछ मेहनत और अनुभव से वह बेहतर हो सकते हैं।

हर्षित राणा इस स्तर पर पूरी तरह तैयार नहीं हैं। उन्हें बड़े टेस्ट मैचों के लिए तैयार होने के लिए रणजी ट्रॉफी, दलीप ट्रॉफी और इंडिया ए के मैचों में खेलने की ज़रूरत है। यह उन्हें जरूरी अनुभव देगा और उनके खेल को उच्च स्तर पर पहुंचाने में मदद करेगा।

स्पिन विभाग में रवींद्र जडेजा का प्रदर्शन अब पहले जैसा नहीं रहा। जडेजा अब अधिकतर एक बल्लेबाज के तौर पर उभरकर सामने आ रहे हैं, और उनकी स्पिन गेंदबाजी में पहले जैसी धार नहीं दिख रही। विशेष रूप से जब विकेट पहले दिन से स्पिन के लिए अनुकूल नहीं होते, तो उनका प्रभाव कम हो जाता है। हालांकि, भारत में इस तरह के विकेट्स में वह अहम भूमिका निभाते हैं।

India out of WTC final: पुणे में वाशिंगटन सुंदर का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा था, जब उन्होंने 12 विकेट लिए थे। यह उनकी स्पिन गेंदबाजी का शानदार उदाहरण था। हालांकि, सुंदर को अब एक बेहतरीन बल्लेबाज के रूप में भी पहचाना जा रहा है। वे बल्लेबाजी के अनुकूल विकेटों पर एक सक्षम ऑफ स्पिनर के मुकाबले बेहतर बल्लेबाज साबित हो रहे हैं।

इस श्रृंखला की एकमात्र सकारात्मक बात यह रही है कि यशस्वी जायसवाल ने अपनी बल्लेबाजी से अगले सुपरस्टार बनने का संकेत दिया है। उनका प्रदर्शन शानदार रहा है, और इससे यह उम्मीद की जा रही है कि वे भारत के लिए बड़े मंच पर खेलने के लिए तैयार हो सकते हैं। साथ ही, नितीश रेड्डी की कच्ची प्रतिभा भी उम्मीद जगाती है। यदि रेड्डी की गेंदबाजी पर काम किया जाए, तो वह भारत के घरेलू मैदान पर तीन स्पिनर खेलने का मौका दे सकते हैं, जो टीम के लिए एक बड़ा लाभ साबित होगा।

यह विश्लेषण दिखाता है कि भारतीय क्रिकेट में नए खिलाड़ियों की भरमार है, लेकिन उन्हें उचित अनुभव और प्रशिक्षण की आवश्यकता है ताकि वे अगले स्तर तक पहुंच सकें।






 

 

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